भारतीय रेलवे में स्लिप ट्रेन या लिंक ट्रेन क्या होती है?
स्लिप ट्रेन आज से 20–25 वर्ष पहले बहुत चलती थीं। लेकिन ?ब बहुत कम चलती हैं , कुछ उदाहरण देकर आपको समझाता हूँ।
एक मुख्य ट्रेन के साथ 5–6 कोच उसी रूट पर दूसरी जगह (स्टेशन) के लिए जोड़ देना ही स्लिप या लिंक ट्रेन सिस्टम कहलाता है।
जैसे हजरत निजामुद्दीन से वास्कोडिगामा के लिए गोवा एक्सप्रेस चलती है। इसी ट्रेन में 18 डिब्बे वास्कोडिगामा जायेंगे और पीछे के 6 डिब्बे हुबली जाएंगे। दोनों ट्रेनों का नम्बर अलग होता है। लौंडा जंक्शन से हुबली के डिब्बे कट जाते हैं और उन्हें एक दूसरा एंजिन हुबली ले जाता है। शेष ट्रेन वास्कोडिगामा चली जाती है। ऐसे ही लौटने में लौंडा जंक्शन पर दोनों ट्रेनों को जोड़ कर एक ट्रेन बना दिया जाता है और पूरी ट्रेन हजरत निजामुद्दीन आ जाती है।
हजरत निजामुद्दीन से हैदराबाद जाने वाली दक्षिण एक्सप्रेस में 5–6 डिब्बे विशाखापत्तनम के लगते हैं। वह काजीपेट पर कट जाते हैं और हैदराबाद से आकर और विशाखापत्तनम जाने वाली एक्सप्रेस में जुड़ कर विशाखापत्तनम चले जाते हैं। ऐसा ही लोटते टाइम विशाखापत्तनम वाले डिब्बे हैदराबाद से आने वाली दक्षिण एक्सप्रेस में लग जाते हैं और निजामुद्दीन आ जाते हैं।
पहले जबलपुर वाली महामाया एक्सप्रेस और विलासपुर वाली गोंडवाना एक्सप्रेस निजामुद्दीन से एक रैक में ही चलती थीं। जबलपुर के डिब्बे बीना में कट जाते थे और अलग से जबलपुर चले जाते थे। ऐसे ही लौटने में जबलपुर से आने वाले डिब्बे बीना में विलासपुर से आने वाली गोंंडवाना एक्सप्रेस में जुड़ कर निजामुद्दीन चले जाते थे। अब जबलपुर और विलासपुर वाली दोनों ट्रेनें अलग- अलग टाइम पर कर दी हैं।
तो यही है स्लिप ट्रेन लिंक ट्रेन सिस्टम।
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